Not known Factual Statements About Shodashi

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

A novel function with the temple is always that souls from any faith can and do offer puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from several religions and cultures.

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Local community and spiritual solidarity among the devotees. For the duration of these events, the collective Electrical power and devotion are palpable, as individuals interact in several sorts of worship and celebration.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

It is an expertise in the universe throughout the unity of consciousness. Even in our Shodashi common point out of consciousness, Tripurasundari may be the natural beauty that we see on the planet all over us. Whichever we understand externally as lovely resonates deep in.

Devotees of Tripura Sundari engage in numerous rituals and practices to express their devotion and look for her blessings.

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता

Disregarding all caution, she went to the ceremony and found her father experienced started the ceremony without the need of her.

Goddess Shodashi is often known as Lalita and Rajarajeshwari which suggests "the one who plays" and "queen of queens" respectively.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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